सोमवार, 7 मार्च 2011

कबीर भजन : पद्मश्री प्रहलादसिंह टिपानिया

कबीर भजन गुरु गम का सागर तं ने लाख लाख वंदन

मालवी बोली और कबीर के दोहे। इन दोनों का मधु मिश्रण पद्मश्री प्रहलादसिंह टिपानिया विगत 25 बरसो से प्रस्तुत कर रहे है। कबीर से कैसे जुड़े इस रहस्य को टिपानियाजी उजागर करते हुए कहते है -" मैं तो विज्ञान का छात्र रहा। कबीर का नाम सुना जरूर था लेकिन पड़ा नहीं था । तम्बूरा सीखने के प्रेम ने मुझे कबीर तक पहुंचाया। आज जो हूँ कबीर की बदौलत हूँ। "

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