शनिवार, 29 जनवरी 2011

मालवी पाठशाला : भाग 2


स्कूल की बातें

पिछली
पोस्ट मे हमने उज्जयिनी मालवी सिखी। अब हम राजवाडी मालवी को सीखेंगे। प्रस्तुत पाठ एक राजवाडी मालवी बोलने वाले नवयुवक द्वारा दिया गया है जो मंदसौर के भून्याखेड़ी का रहनेवाला है।


चंबल कॉलोनी मे सभी गाँव का छोरा भणवाने जाता था।
All the children from the village were going to study in Chambal colony.

QUESTION १
q/ For what purpose were the village children going to Chambal colony?
a / To study.


एक दान कय हो गयो मे खाल के पास हाथ मु दुहाने गयो ।
One day I went to a brook for washing my face and hands.

QUESTION २
q/ Where did he go to wash his hands and face?
a/ To brook.

तो मारा दोस्त भी मारा साथ मे आयो तो वणी कई करियों के मे ने उटटाय ने न खाल मे डालियों
My friend also came with me and he took me and put me in the brook

QUESTION 3
\q did his friend do with the storyteller?
\a Put him in the brook.

तो मु पुरो गीलों होय गियों तो मे ने सर ने जयने बोलियो, सर वन्ने कुकड़ी बनायों थो ।और वाणी के ऊपर मे ने बेठायो।
I became fully wet. I went to school and told the teacher about this incident. So
the teacher made him sit as a rooster (as a punishment) and I sat upon him.

QUESTION 4
\q What did the teacher do with his friend?
\a Made him sit as a rooster.

तो एक दान कई होयों की मे सईकल सिखीरियो थो।
Then one day I was learning cycling.
तो सईकल मार से सम्हली कोणी एक बा साब बैठा था। वना बा साब के उपार जयने पड़िगी।
I lost my control . One old man was sitting there. I fell down on him.

QUESTION 5
\q Who was sitting there?
\a An old man.

वणा बा साब के पा एक गोणियों थो ।
He had a walking stick with him.
वाणि गेणिया की उठाय ने मारा मार दी।
He took the stick and beat me.

QUESTION 6
\q How did the old man beat him?
\a With a walking stick.

तो मे बेहोस होयगायों।
I became unconscious.

QUESTION 7
\q What happened to him after getting a beating?
\a Became unconscious.

तो मारा घरवाला ने मालूम पड़ी तो मां ने देवराम मे ले जायन दियो और वणा भोपा ने बुलायो।
My family members came to know about this and they brought me to the temple
and they called the priest.

QUESTION 8
\q Where did the family members bring him?
\a To the temple.

भोपा ने औलोंवालो डालियों थोड़ी देर की बाद मु होस मे आयो।
The priest sprinkled some incense on me, and in a short time I became
conscious.
QUESTION 9
\q Who sprinkled incense on him?
\a The priest.

तो एक दन म्हार गाँव का सभी छोरा जयरया था भणवाने।
One day all the boys in our village were going to study.
तो रास्ता मे एक कूड़ों पड़े वारिष का दन था पुरो भरियों थो।
There was a pool on the way and because of the rain it was filled.

QUESTION 10
\q What was there on the way?
\a A pool.

तो मा न सब छोरा ने सल्ला करी, क्या अपी अणि कूड़ा मे हपड़ी ला।
We all discussed with each other that we will take a bath now.

QUESTION 11
\q What did they plan to do in the pool?
\a To take a bath.

तो मा सब छोरा कूड़ा मे कुदिया।
Then we all jumped in to the pool.
\q What did they do in the pool?
\a Jumped in the pool।

(Thanx SiL)

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

शान ए गुलाब :गुलाब प्रदर्शनी

शान गुलाब :गुलाब प्रदर्शनी



मालवा रोज सोसायटी, राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन और राज्य सरकार के उद्यानिकी विभाग द्वारा इंदौर मे 22 - 23 जनवरी 2011 को गुलाब प्रदर्शनी आयोजित की








इसमें 700 किस्म के 5700 गुलाब रखे गए।

यहाँ पर ग्रीन आइस, प्ले बॉय, बॉयज ग्रेट, जेना, ग्रेडिएटर, टीपूसफ्लेम, ग्रीन स्लीव्ज गुलाबों की किसमे प्रदर्शित की गयी। महकलोगों को आकर्षित कर रही थी।










नई वैरायटी के गुलाब जैसे पिंक नेबल, मसाई और प्लेन टॉक भी दिखाई दिये।मालवा की गुलाबी ठंड में जहां गुला बों की बहार थी वहीं नई वैरायटी के गुलाब केबारे मे लोग पूछताछ करते दिखे।












मैं हूँ ..नाम-गोत्र से रहित गुलाब .....









गुलाब तुम कितन अच्छे हो ! काँटों में भी खिल उठते हो, सबसे मुस्काकर मिलते हो। कभी नही करते हो शिकायत, आए चाहे लाख मुसीबत। उपवन की हो शान, सभी को महक लुटाते हो। ...







वह गुलाब की लाल कली फिर कुछ शरमा कर, साहस कर, बोली....
इसको यों ही खेल समझ कर फेंक न देना, है यह प्रेम-भेंट पहली
....

लाल गुलाब का फूल प्रेम का प्रतीक माना जाता है इसलिए वैलेंटाइन डे पर सबसे अधिक माँग इसी फूल की रहती है। ब्रिटिश लोग इस एक दिन में फूलों पर साढ़े तीन करोड़ पाउंड खर्च कर देते हैं। ख़रीदे जाने वाले फूलों में लाल गुलाबों की संख्या लगभग एक करोड़ होती है।










एक पुष्प में सभी पुष्प, सब किरणें एक किरण में....










हम भी है, तुम भी हो, दोनों है, आमने सामने ......











मैं हूँ ....सफ़ेद, तो उदास, प्रसन्न, बस सफ़ेद.... मैं लगातार कहता रहता हूँ मैं हूँ सफ़ेद...










तुझे देखकर जगवाले पर यकीन नहीं क्यु कर होगा....
जिसकी रचना इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा..
.







हम है राही प्यार के हम से कुछ बोलिये
जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिये.....







इतने सारे खिले-खिलखिलाते गुलाब ..........









गमक गेंदा की............
(गेंदा प्रथम पुरस्कार)











प्रथम पुरस्कार : व्यक्तिगत श्रेणी


















हम भी हैं.....











'चंद ताजा फूल आपके नाम'........















सोमवार, 17 जनवरी 2011

सिंहनाद:पंडित कुमार गंधर्व

मालवा की मिट्टी से जुड़े महान शास्त्रीय गायक पंडित कुमार गंधर्व(शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकाली)


पंडित कुमार गंधर्व (शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकाली)
जन्म - कर्नाटक के धारवाड़ में 8 अप्रेल 1924
पुणे में प्रोफेसर देवधर और अंजनी बाई मालपेकर से संगीत की शिक्षा।

दस बरस की उम्र से ही संगीत समारोहों में गाने लगे थे और ऐसा चमत्कारी गायन करते थे कि उनका नाम कुमार गंधर्व पड़ गया ।



अपने मूल शैली और अपने को हिंदुस्तानी संगीत की परंपरा घराने के दायरे के भीतर रहने के इनकार उन्हें एक विवादास्पद व्यक्ति बना दिया। हालांकि कभी भी कुमार साहब के समर्पण, समझ और बौद्धिक और भावनात्मक गहराई पर सवाल नहीं उठाया गया है, यह सच है कि वह अपने समकालीन भीमसेन जोशी और मल्लिकार्जुन मंसूर के जितनी लोकप्रियता की ऊंचाई प्राप्त नहीं कर सके। क्यूकी उन्हे टुकड़ो मे सुनना कभी भी आसान नहीं रहा है उनकी आवाज मे पतलापन और कभी कभी कठोर आवाज दोनों रही

वे जब इंदौर आए तो चौबीस बरस के थे ।लेकिन इंदौर वे गाना गाने नहीं मालवा की समीशीतोष्ण जलवायु में स्वास्थ लाभ करने आए थे । उन्हें टी .बी थी जिसका उन दिनों कोई पक्का इलाज़ नहीं था बीमारी के चलते उनका एक फेफड़ा निकाल दिया गया था। उम्र थी सिर्फ 25 बरस, और गाने से मनाही की सख्त चिकत्सीय हिदायत। कुमार जी की पत्नी भानुमती ख़ुद एक गायिका थीं और कुशल गृहणी एवं नर्स भी।
अपने देवास मे स्वास्थ्य लाभ के दौरान उन्हे एक गौरया से प्रेरणा मिली,गौरया अपने छोटे आकार के बावजूद प्रभावशाली आवाज की मालकिन होती है।

कुमार जी स्वस्थ होकर फिर से वह नई तरह का गायन कर सके इसका श्रेय भानुताई को ही दिया जाना चाहिए ।
जिस घर में कुमार जी स्वास्थ लाभ कर रहे थे ,तब वेह देवास के लगभग बाहर था, और वहां हाट लगा करता था ।कुमार जी ने वहीं बिस्तर पर पड़े पड़े मालवी के खांटी स्वर महिलाओं से सुने । वहीं पग- पग पर गीतों से चलने वाले मालवी लोक जीवन से उनका साक्षातकार हुआ ।

संगीत वे सीखे हुए थे और शास्त्रीय गायक में उनका नाम भी था ।लेकिन स्वस्थ होते हुए और नया जीवन पाते हुए उनमें एक गायक का भी जन्म हुआ ।

सन 1952 के बाद जब वे चंगे होकर गाने लगे तो पुराने कुमार गन्धर्व नहीं रह गये थे ।

मालवा के लोक जीवन से कुमार जी के साक्षात्कार पर देशपांडे ने लिखा ,
"बिस्तर पर पड़े-पड़े वे ध्यान से आसपास से उठने वाले ग्रामवासियों के लोकगीतों के स्वरों को सुना करते थे ।वे उन लोकगीतों और लोक धुनों की और आकर्षित होते चले गये ।इसे में से एक नये विश्व का दर्शन उन्हें प्राप्त हुआ ।"

अड़सठ बरस की उम्र में 12 जनवरी 1992 में देवास में उनका निधन हो गया । लोक संगीत को शास्त्रीय से भी ऊपर ले जाने वाले कुमार जी ने कबीर को जैसा गया वैसा कोई नहीं गा सकेगा ।

कालिदास और कुमार गन्धर्व मालवा के दो संस्कृतिक दूत हैं।

निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊंगा
सुनता है गुरु ज्ञानी ।
उड जाएगा हंस अकेला ।
एक घड़ी।
कोण ठगवा नगरिया लुटल हो।
अवधुता ...।
उठी उठी सखी सब मंगल गाओजी ..।
म्हारे नेणा आगे राहियों जी जी जी ..।
नेहरवा हमका न भावे...।

ॐ तत सत

मंगलवार, 11 जनवरी 2011

मालवी माँड़ना चित्र प्रदर्शनी


माँड़ना



भोपाल की माँड़ना चित्रकार रेणु गुन्देचा की चित्रो की तीन दिवसीय प्रदर्शनी, 7-8-9-जनवरी को प्रितमलाल दुआ सभाग्रह इंदौर मे आयोजित की गयी।






माँड़ना, मालवा की प्रसिद्ध चित्रकला है, जो त्योहारो मांगलिक अवसरो पर रीति रिवाजो के अनुसार बनाए जाते है। इसमे लाल मिट्टी या गोबर के ऊपर, सफ़ेद रंगो से भिन्न भिन्न आकृतिया जैसे, मोर,बिल्ली,शेर,बावड़ी,स्वस्तिक आदि बनाए जाते है संजा, मालवा का एक पारंपरिक त्योहार है,जिसमे लड़कीया दीवारों पर गोबर से अपने पूर्वजो की याद मे विभिन्न आकृतिया बनाती है।मालवा की यह क़ला,अपने जटिल एवं सुंदर ब्रश वर्क के लिए जानी जाती है। गुजरात और राजस्थान से सटे होने के कारण माँड़ना कला पर, इन प्रदेशो की संस्कृति की छाप भी परिलक्षित होती है।



रेणुजी ने, माँड़ना को नए आकार प्रकार से विस्तार देने का प्रयत्न किया है। प्रस्तुत चित्र श्रंखला मे इन्होने केनवास पर एक्रेलिक रंगो का प्रयोग किया है,लेकिन मूल रंग व्यवहार वो ही रखा है। कही कही, नए रंगो को भी अपनाने की वृत्ति देखी गयी है।
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