ओ भिया ये हमारी पेचान है
राजीव नीमा एक ऐसी शख्सियत है जिनसे, मालवी खासकर इंदौरी, अच्छे से परिचित हैं ! इंदौरी और मालवी भाषा का, सूक्षम अवलोकन इनकी प्रस्तुतियों में साफ दिखाई देता हैं !
 एक  इंदौरी   दुनिया  के  किसी  भी  कोने  में  हो,  "ओ  भियो  ओ"  कहते   ही  अपना  परिचय  स्वयं  प्रस्तुत  कर  देता  हैं !  इंदौरी  भाषा  की  खास  पहचान  जो  राजीव  भाई  ने  बताई,  मजा  आ  गया ,  आप  भी  देख़े ...........
रत्तीभर
चराने की शर्म नी
पालटी (पार्टी )
का जा रिया है
मैं यु पलटा
कां ले चलु
इसकी बारा बजाऊ
अचानक  हिंदी  फिल्मो  के  वो  हास्य  द्रश्य  याद  आ  गये,  जिनमे  राजस्थानी, बिहारी, गुजराती, बंगाली, पंजाबी, दक्षिणी, बम्बैया  भाषा  का   प्रयोग   था ! मन  में  एक  जिज्ञासा   जागी   क्या  कारण  है ?  हिंदी  पर  इतने  अलग  अलग  प्रभाव  के   खोजने  के  लिए,  गूगल  महाराज  को  पकड़ा,  धडाधड  जानकारी  मिली !!!!!
विश्व  में बोली  जाने  वाली,  ३०००  से  भी  ज्यादा  भाषाओ  में,  हिन्दी , व्याकरण  में  परिपूर्ण,  शब्दों में समृध,    और  धव्नियो  में   स्पष्ट  हैं !
पश्चिमी  उत्तरप्रदेश  में  बोली जाने   वाली  खड़ीबोली,   आधुनिक  हिंदी  का  मूल  स्त्रोत  है !  कबीर  और  आमिर  खुसरो  ने , इसका  उपयोग  किया !  ईस्ट    इंडिया  कंपनी  ने  १८  व़ी  शताब्दी  में  खड़ीबोली  के  कई  साहित्यों  को  लिपिबद्ध  किया!
और, मालवी खोजने पर पाया, की मालवी वास्तव मे राजस्थानी (मेवाड़ी ) भाषा का ही परिवर्तित रूप है!
हिन्दी ने सभी को गले लगाया और अपनी गोद मे स्थान दिया है, एक माँ की तरह !! हिन्दी ने अपने आप को रूपांतरित भी आसानी से किया है ! सबसे अच्छा उदाहरण है , कठबोलिया, जो विशेष सामाजिक या व्यावसायिक समूहो मे बोली जाती है, ताकि बाहरी व्यक्ति, उनकी बातचीत न समझ सके ! जैसे की इंदौर के सराफा मे उपयोग आनेवाले ये शब्द–
छोया - रवाना करना / भगाना
पाउ - आसामी/अमुक व्यक्ति
थिगले - लेले /डन कर /ओके
छोयापनति - ज्यादा चतुराई दिखाना
हिन्दी ने विदेशी भाषा को भी प्रभाव खोये बिना आत्मसात किया है -
बांगलादेश , पाकिस्तान ,जर्मनी ,इंग्लैंड , अमेरिका , दक्षिण अफ्रीका आदि देशो मे गये प्रवासियो द्वारा बोली जाने वाली हिन्दी का अलग ही स्वरूप है, फ़िजी मे हिन्दी फिजिबात या फ़िजी हिन्दी कहलाती है! दक्षिण अफरिका मे इसे नाइतालिके रूप मे जानते है!
हिन्दी ने नयी पीढ़ी के अनुसार भी अपने को रूपांतरित किया, और पुरानों को भी सम्मान दिया ! जहाँ पुरानी पीढ़ी क्षेत्रीय विशेषताओ को हिन्दी मे जोड़ते गए ! वही दूसरी और नयी पीढ़ी ने हिन्दी मे नयी भाषा के, नये शब्दो को अपनाया !
पुरानी पीढ़ी
हमारे लिए पनवा (पानी ) भर लाओ
नयी पीढ़ी
अंकल मैं किस टाइम मिलू
मानक भाषा कभी कभी, वास्तविकताओ को स्पष्ट नहीं कर पाती , और वह कठबोली (slang/ argol) काम आती है ! कठबोली हास्यप्रभाव के लिए भी इस्तेमाल होती है ! कठबोली के कुछ उदाहरण
हरामी
साला
ससुरा
मुहंजली
करमजली
कुछ आधुनिक slangs है
वाट लगा दिया (परेशानी मे डालना )
मामू बना दिया ( मूर्ख बनाना )
मस्त (अच्छी /सुंदर )
चाटू (बोर )
छमिया (स्मार्ट गर्ल )
झिंचाट (चमकीला चमकदार)
लाल परी (देशी दारू )
टशन (स्टाइल )
हिन्दी के कई शब्द, आज भी शुद्ध रूप मे प्रचलित है जैसे
मांग, न्यायपालिका, संक्रामक रोग, दीक्षांत समारोह,
वितरक, न्यायाधीश, प्राकृतिक चिकित्सा, छात्रावास,
थोक व्यापार, न्यायालय, व्याकरण, शिक्षा विभाग,
बयाना, मुख्य न्यायमूर्ति, कवि सम्मेलन, परिक्षा,
दलाल, वकिल, खारिज, कर्मचारी, नामांकन,
निलंबन, नियुक्ति, प्रशाश्निक, अनुदान
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